Zobox Success Story: आज के समय दुनिया भर के देशों में बहुत सारे स्टार्टअप ‘Startups’ हो रहे हैं। भारत देश भी स्टार्टअप्स का हब बनता जा रहा है क्योंकि यहां पर भी आए दिन नए-नए स्टार्टअप्स शुरू हो रहे हैं। भारत में आज के समय बहुत सारे स्टार्टअप यूनिकॉर्न (Unicorn) भी बन चुके हैं। किसी स्टार्टअप के यूनिकॉर्न (Unicorn) बनने का मतलब होता है कि उस स्टार्टअप की वैल्यू एक बिलियन डॉलर से ज़्यादा हो चुकी है। इस लेवल की वैल्यू से ऊपर की प्राप्ति कर लेने पर उस स्टार्टअप को यूनिकॉर्न (Unicorn Startups) की श्रेणी में शामिल कर दिया जाता है।
भारत की कुल यूनिकॉर्न स्टार्टअप्स कि अगर बात करें तो मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार वर्तमान में भारत में 100 से ज़्यादा यूनिकॉर्न स्टार्टअप्स (Unicorn Startups) हैं। तो इस आंकड़े से इस बात का अंदाजा लगाया जा सकता है कि भारत देश में किस रफ्तार से आज के समय स्टार्टअप्स की ग्रोथ हो रही है और भारतीय लोगों का स्टार्टअप्स की तरफ कितना रुझान है।
तो इस आर्टिकल में हम आप को स्टार्टअप की दुनिया में से एक ऐसे स्टार्टअप की सफलता की कहानी बताएंगे जिसके अंदर इसके फाउंडर ने पुराने मोबाइल फोंस को खरीदने और बेचने से करोड़ों रुपए की कंपनी खड़ी कर डाली। स्टार्टअप का नाम है ‘Zobox’ और इस स्टार्टअप के संस्थापक का नाम है नीरज चोपड़ा (Neeraj Chopra)। उन्होंने यह स्टार्टअप साल 2020 में शुरू किया था और आज के समय इस स्टार्टअप की वैल्यू करोड़ों की है। इस आर्टिकल में हम आपको बताएंगे Zobox Success Story के बारे में और साथ ही आपको बताएंगे कि नीरज चोपड़ा ने किस तरह से अपने इस स्टार्टअप को करोड़ों का बना डाला।
Zobox Success Story की शुरुआत
नीरज चोपड़ा भारत के दिल्ली शहर के रहने वाले हैं और उनका जन्म भी दिल्ली में ही हुआ था। नीरज चोपड़ा के दादाजी पाकिस्तान से भारत विभाजन के दौरान आए थे। वे पाकिस्तान में अपना सब कुछ छोड़कर आ गए थे और भारत आकर उन्होंने अपने परिवार के लिए सब कुछ नए सिरे से बनाया। नीरज के पिता की बात करें तो उनके पिता हांगकांग (Hongkong) में इंपोर्ट एक्सपोर्ट का बिजनेस करते थे। नीरज जब 18 साल के हुए तो साल 2000 में वह अपने पिता के पास हांगकांग चले गए।
हॉन्ग कोंग पहुंचकर नीरज ने 12 साल तक अपने पिता का एक्सपोर्ट इंपोर्ट का बिजनेस संभाल और इसके साथ ही नीरज ने अपनी बाकी की पढ़ाई हांगकांग में ही पूरी करी। साल 2012 में अचानक से नीरज के चाचा जी का निधन हो गया तो इस कारण उन्हें भारत देश लौटकर आना पड़ा।
नीरज का अपने पिता का बिजनेस संभालते हुए एक बिजनेस माइंड सेटअप बन ही चुका था और जब वह भारत वापस आए तो इस दौरान उन्होंने भारत में यह देखा कि यहां पर पावर बैंक्स की डिमांड बहुत ज़्यादा बढ़ रही थी लेकिन इसकी सप्लाई इतनी ज़्यादा नहीं थी और पावर बैंक का प्रोडक्शन भी भारत में अभी तक शुरू नहीं हुआ था। तो नीरज को भारत में पावर बैंक्स का बिजनेस शुरू करने की रुचि जागृत हुई और उन्होंने पावर बैंकस को इंडिया में हांगकांग से इंपोर्ट करवाना शुरू कर दिया। उन्होंने 5 सालों तक पावर बैंक और इलेक्ट्रॉनिक का काम भारत में किया और इस बिजनेस क्षेत्र में एक्सपीरियंस हासिल कर लेने के बाद साल 2020 में उन्होंने अपनी खुद की कंपनी की स्थापना करने का निर्णय लिया। और फिर उनके इस निर्णय के साथ उनके Zobox Startup की शुरुआत हुई।
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Zobox Startup को कोरोना कल में शुरू किया
जब नीरज अपने इस Zobox Startup की स्थापना करने जा रहे थे तो इस समय भारत में कोरोना की वजह से लॉकडाउन लग गया। इस कारण नीरज ने अपने इस स्टार्टअप बिजनेस प्लान को थोड़े समय के लिए रद्द कर दिया और फिर कुछ समय रुक कर दिसंबर 2020 में उन्होंने इसकी शुरुआत की। नीरज ने अपने स्टार्टअप में पुराने मोबाइलों को रिफर्बीश ‘Refurbish’ करके बेचना शुरू किया। प्रक्रिया में नीरज ग्राहकों के पुराने मोबाइल खरीद लेते थे और उनमें किसी भी तरह की आई कमी को ठीक करके दोबारा मार्केट में बेच देते थे।
उनका यह बिजनेस शुरू करते ही तेजी से आगे बढ़ने लगा और इस बिजनेस से वह एक अच्छा प्रॉफिट निकालने लगे। शुरुआती दौर उनका थोड़ा कठिनाइयों भरा रहा क्योंकि शुरुआती दौर में उन्हें अपने इस बिजनेस में ज़्यादा अच्छा रिस्पांस नहीं मिलता था। शुरुआत में वह मुश्किल से केवल 100-150 मोबाइल ही बेच पाते थे लेकिन आज के समय यह संख्या बहुत ज़्यादा बढ़ चुकी है।
Zobox Startup आज करोड़ों की कंपनी
नीरज चोपड़ा की जो बॉक्स कंपनी आज के समय करोड़ की बन चुकी है। एक समय जहां नीरज अपनी इस कंपनी द्वारा मुश्किल से कुछ ही रिफर्बिश्ड मोबाइल भेज पाते थे वही आज के समय उनकी इस कंपनी से प्रतिदिन 20000 से 25000 रिफर्बिश्ड मोबाइल आसानी के साथ बेचे जाते हैं। नीरज ने दिल्ली के करोल बाग इलाके में एक छोटा स्पेस लेकर मोबाइलों का रिपेयरिंग सेटअप बनवाया हुआ है जहां उनकी कंपनी की टीम के लोग मोबाइलों की रिपेयरिंग करते हैं।
आज के समय Zobox कंपनी के टर्नओवर की बात करें तो वर्तमान में इस कंपनी का टर्नओवर 50 करोड रुपए तक पहुंच गया है जिससे कि यह कंपनी अब करोड़ों की बन चुकी है।
Zobox Startup Success Story
नीरज ने हमेशा से ही पॉजिटिव सोच रखी और कभी भी किसी भी हालत में हार नहीं मानी। और यही कारण है कि उन्होंने आज अपने इस छोटे से स्टार्टअप को इतनी बड़ी कंपनी बना डाला है। इससे यह प्रेरणा मिलती है कि इंसान को अपनी सोच को हमेशा पॉजिटिव और बड़ी सोच रखना चाहिए, धैर्य के साथ काम करते रहना चाहिए और कभी भी अपनी मेहनत को त्यागना नहीं चाहिए।