Electoral Bond Kya Hota Hai: कुछ हफ्तों से सुर्खियों में इलेक्टोरल बांड की काफी चर्चाएं चल रही है। इसी को देखते हुए बहुत से लोग यह जानना चाहते हैं कि आखिर इलेक्टोरल बॉन्ड है क्या। दरअसल इलेक्टोरल बॉन्ड राजनीतिक दलों को चंदा (donation) देने का एक वित्तीय माध्यम है। हाल ही में इलेक्टरल बॉन्ड्स पर भारतीय सुप्रीम कोर्ट द्वारा रोक लगा दी गई है। चलिए अब आपको विस्तार से बताते हैं कि इलेक्टोरल बॉन्ड आखिर क्या होता है, इसे कौन और कैसे खरीद सकता है, और इस पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक क्यों लगाई।
Electoral Bond क्या होता है?
Electoral Bond की घोषणा भारतीय सरकार द्वारा सन 2017 में की गई थी। इसके बाद 29 जनवरी 2018 को भारतीय सरकार द्वारा इस योजना पर कानून लागू कर दिया गया था। इलेक्टरल बॉन्ड दरअसल राजनीतिक दलों को डोनेशन देने का एक वित्तीय माध्यम है। यह बंद एक शपथ पत्र जैसा है जिसको SBI इशू करता है और इसे SBI से खरीदा जाता है। इन Electoral Bond के माध्यम से जो भी लोग यह कंपनी अपनी पसंदीदा राजनीतिक पार्टी को दान देना चाहती हैं, उन्हें गुमनाम तरीके से आसानी से दान दे सकती हैं।
इलेक्टरल बॉन्ड्स का केवल 15 दिनों तक का समय होता है। Electoral Bonds के माध्यम से केवल उन्हीं राजनीतिक दलों को चंदा दिया जा सकता है जिन्होंने लोकसभा या विधानसभा के लिए पिछले आम चावन में टोटल वोटों का कम से कम एक परसेंट वोट हासिल किए हों।
Electoral Bonds List
इलेक्टरल बॉन्ड्स के माध्यम से किस पार्टी को कितना चंदा अब तक मिला है इसके बारे में नीचे दी गई टेबल में बताया गया है।
पार्टी | चंदा (करोड़ रुपये) |
---|---|
बीजेपी | 6,986.5 (2019-20 में सबसे ज्यादा 2,555) |
कांग्रेस | 1,334.35 |
टीएमसी | 1,397 |
डीएमके | 656.5 |
बीजेडी | 944.5 |
वाईएसआर कांग्रेस | 442.8 |
तेदेपा | 181.35 |
सपा | 14.05 |
अकाली दल | 7.26 |
AIADMK | 6.05 |
नेशनल कॉन्फ्रेंस | 0.50 |
बीआरएस | 1,322 |
सुप्रीम कोर्ट ने Electoral Bonds पर लगाई रोक
सुप्रीम कोर्ट ने इलेक्टरल बॉन्ड्स पर रोक लगाते हुए कहा कि चुनावी बांड योजना अनुच्छेद 19 (1) (A) का उल्लंघन है। इसकी वजह से सुप्रीम कोर्ट ने इलेक्टरल बॉन्ड्स पर रोक लगा दी। उसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने बोला कि आम जनता को यह जानने का पूरा अधिकार है कि कौन सी सरकार ने इलेक्टरल बॉन्ड्स के माध्यम से कितना पैसा प्राप्त किया।
सुप्रीम कोर्ट की अदालत ने SBI को यह निर्देश जारी करते हुए कहा कि, “ स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया (SBI) चुनावी बांड के माध्यम से अब तक किए गए योगदान के सभी विवरण 31 मार्च 2024 तक चुनाव आयोग को सौंप दें।” इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को भी यह निर्देश दिया है कि वह 13 अप्रैल 2024 तक अपनी ऑफिशल वेबसाइट पर इस जानकारी को सजा कर दें।
इलेक्टरल बॉन्ड्स किस तरह काम करते हैं?
इलेक्टोरल बॉन्ड का इस्तेमाल करना काफी आसान है। इन बॉन्ड्स को ₹1000 के मल्टीपल में पेश किया जाता है जैसे की रुपए ₹1000 ₹10000 ₹1,00,000 और रुपए एक करोड़ की रेंज में।
इलेक्टोरल बॉन्ड्स को इशू करने का ज़िम्मा फिलहाल स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया (SBI) कोई मिला है इसलिए यह SBI बैंक से ही लिए जाते हैं। कोई भी दाता जिनका KYC-COMPLIANT अकाउंट हो SBI के अंदर, वह इन बॉन्ड्स को आसानी से खरीद सकते हैं और इन्हें किसी भी राजनीतिक पार्टी को डोनेट कर सकते हैं। इसके बाद जो भी पार्टी इन बॉन्ड्स को रिसीव करता है, वह इन्हें कैश में कन्वर्ट करा सकते हैं। इन्हें कैश करने के लिए पार्टी को अपने वेरीफाइड अकाउंट का इस्तेमाल करना होता है। इलेक्टरल बॉन्ड सिर्फ 15 दिनों के लिए वैध रहते हैं।
कौन और कब खरीद सकता है इलेक्टोरल बॉन्ड्स
Electoral Bonds जनवरी अप्रैल जुलाई और अक्टूबर के महीना में एसबीआई द्वारा जारी किए जाते हैं। इन इलेक्टरल बॉन्ड्स को कोई भी ऐसा व्यक्ति खरीद सकता है जिसके पास एसबीआई बैंक में KYC अप्रूव्ड खता हो। उसकी यह खास बात यह भी है कि इसमें भुगतान करता का नाम नहीं होता है।
लेकिन हाल ही में सुप्रीम कोर्ट द्वारा SBI को इसकी जानकारी दिए गए वक्त पर सुप्रीम कोर्ट को नहीं सोंपने की वजह से बड़ा झटका लगा है और काफी फटकार पड़ी है।
इलेक्टोरल बॉन्ड कैसे मिलता है?
देश में जितनी भी राजनीतिक पार्टियों हैं उनको यह बॉन्ड मिल सकता है। लेकिन इसके लिए शर्त यह है कि उसे पार्टी को आम चावन में न्यूनतम 1% या उससे अधिक वोट प्राप्त हुए हो। ऐसी रजिस्टर्ड राजनीतिक पार्टी इलेक्टरल बॉन्ड के माध्यम से चंदा पा सकती है। वर्तमान है सरकार के मुताबिक इन इलेक्टरल बॉन्ड के माध्यम से काला धन (Black Money) पर नियंत्रण पाने में आसानी होगी और चावन के दौरान चंदे के तौर पर दिए जाने वाली धनु राशि का हिसाब आसानी से रखा जा सकेगा। इसकी वजह से चुनावी फंडिंग में सुधार पैदा होगा।
Electoral Bonds की कब और क्यों की गई थी शुरुआत
भारतीय केंद्र सरकार ने साल 2017 में फाइनेंस बिल के ज़रिए Electoral Bonds Scheme को संसद में पेश किया था। 29 जनवरी 2018 को इलेक्टरल बॉन्ड स्कीम को संसद में पास होने के बाद इसका नोटिफिकेशन जारी कर दिया गया था।
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